हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) में समास (Samas) एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। समास का प्रयोग भाषा को अधिक सरल, संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है। यदि हम साहित्य, काव्य या दैनिक बोलचाल पर ध्यान दें, तो पाएंगे कि समास के बिना भाषा लंबी, जटिल और बोझिल हो सकती है।
इस लेख में हम समास की परिभाषा, महत्व, प्रकार और उदाहरण को विस्तार से समझेंगे।
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Table of Contents
समास की परिभाषा (Definition of Samas)
“दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर बने हुए नए, संक्षिप्त और अर्थपूर्ण शब्द को समास कहते हैं।”
👉 उदाहरण:
- राजा का पुत्र → राजपुत्र
- गाय का दूध → गोदुग्ध
- पाँच आदमी → पंचपुरुष
यहाँ पर मूल वाक्यांश लंबे हैं, लेकिन समास के प्रयोग से भाषा अधिक सरल और प्रभावशाली बन गई।
समास का महत्व (Importance of Samas in Hindi)
- भाषा को संक्षिप्त करता है – लम्बे वाक्यांश को एक शब्द में बदल देता है।
- सौंदर्य और प्रभावशीलता – कविता और साहित्य में अभिव्यक्ति को आकर्षक बनाता है।
- समझने में सरल – पढ़ने वाले या सुनने वाले को अर्थ तुरंत स्पष्ट हो जाता है।
- समय की बचत – कम शब्दों में गहरी बात कही जा सकती है।
👉 उदाहरण:
- जिसके हाथ में चक्र है → चक्रधर (भगवान विष्णु)
- जिसका गला नीला है → नीलकंठ (भगवान शिव)
समास के प्रकार (Types of Samas in Hindi Grammar)
हिंदी व्याकरण में समास को सामान्यत: 6 मुख्य प्रकारों में बाँटा गया है। आइए इन्हें विस्तार से समझें।
1. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
यह समास तब बनता है जब पहला पद अव्यय होता है और दूसरा पद संज्ञा/सर्वनाम। इसमें अव्यय प्रधान होता है।
👉 उदाहरण:
- सदैव + सुखी = सदा सुखी
- यथाशक्ति + प्रयत्न = यथाशक्ति प्रयत्न
- उपरि + लिखा = उपलिखित
ध्यान दें – इसमें अव्यय की प्रधानता रहती है।
2. द्वंद्व समास (Dvandva Samas)
इस समास में दोनों पद समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। यहाँ “और” का बोध होता है।
👉 उदाहरण:
- राम और लक्ष्मण = राम-लक्ष्मण
- सीता और गीता = सीता-गीता
- दिन और रात = दिन-रात
- गुरु और शिष्य = गुरु-शिष्य
नोट – इसमें दोनों पदों का महत्व बराबर रहता है।
3. द्विगु समास (Dvigu Samas)
जब संख्या या परिमाण सूचक शब्द से बना समास हो, तब उसे द्विगु समास कहते हैं।
👉 उदाहरण:
- पाँच + पुरुष = पंचपुरुष
- सात + समुद्र = सप्तसागर
- तीन + लोक = त्रिलोक
- दस + इन्द्र = दशेन्द्रिय
यहाँ संख्या विशेषण प्रधान होता है।
4. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
इसमें दूसरा पद प्रधान होता है और पहला पद उसका विशेषण। यह सबसे व्यापक और जटिल प्रकार है। तत्पुरुष समास कई उप-प्रकारों में विभाजित है, जैसे –
- कर्मधारय तत्पुरुष
- द्वितीया तत्पुरुष
- षष्ठी तत्पुरुष आदि।
👉 उदाहरण:
- गृह + प्रवेश = गृहप्रवेश
- राजा का पुत्र = राजपुत्र
- जल से भरा = जलपूर्ण
- माता की सेवा = मातृसेवा
5. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
जब बने हुए शब्द का अर्थ उसके अवयवों से भिन्न हो और वह किसी तीसरे वस्तु/व्यक्ति को सूचित करे, तो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
👉 उदाहरण:
- नील + कण्ठ = नीलकण्ठ (भगवान शिव)
- चतुर + मुख = चतुर्मुख (ब्रह्मा)
- दु:ख + हर = दुःखहर (भगवान)
- सुवर्ण + पद = सुवर्णपद (जिसका पद स्वर्ण के समान हो)
6. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
यह समास विशेषण और विशेष्य के मेल से बनता है। इसमें विशेषण प्रधान होता है।
👉 उदाहरण:
- सुन्दर + स्त्री = सुन्दरी
- नील + गगन = नीलगगन
- महान + पुरुष = महापुरुष
- श्वेत + धवल = श्वेतधवल
समास और उसके उदाहरण (Comprehensive Examples of Samas)
नीचे कुछ समास और उनके वाक्य प्रयोग दिए गए हैं –
- राम-लक्ष्मण (द्वंद्व समास) – राम-लक्ष्मण वनवास गए।
- त्रिलोक (द्विगु समास) – विष्णु भगवान त्रिलोक के स्वामी हैं।
- राजपुत्र (तत्पुरुष समास) – राजा का पुत्र राजपुत्र कहलाता है।
- नीलकंठ (बहुव्रीहि समास) – भगवान शिव नीलकंठ कहलाते हैं।
- सदा सुखी (अव्ययीभाव समास) – जो संतोषी होता है वह सदा सुखी रहता है।
- महापुरुष (कर्मधारय समास) – गांधीजी एक महापुरुष थे।
समास और हिंदी साहित्य (Samas in Hindi Literature)
हिंदी के कवियों और लेखकों ने अपने लेखन को संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाने के लिए समास का भरपूर प्रयोग किया है।
👉 तुलसीदास की पंक्तियों में –
- “राम-लक्ष्मण-भरत-शत्रुघ्न” (द्वंद्व समास)
- “गिरिजापति” (तत्पुरुष समास)
👉 सूरदास की कविता में –
- “मधुराधिपति” (बहुव्रीहि समास)
- “चतुरभुज” (कर्मधारय समास)
समास से भाषा की सुंदरता
- लंबे वाक्य को छोटा बनाता है।
- काव्य में लय उत्पन्न करता है।
- भाषा की गरिमा बढ़ाता है।
👉 उदाहरण:
- जिसके पास धन है → धनवान
- जिसका हृदय पवित्र है → पवित्रहृदय
समास के अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)
प्रश्न 1: निम्नलिखित वाक्यांशों से समास बनाइए –
- सूर्य का प्रकाश
- राजा का दरबार
- दस इन्द्रिय
- गुरु और शिष्य
- नील गगन
उत्तर:
- सूर्यप्रकाश
- राजदरबार
- दशेन्द्रिय
- गुरु-शिष्य
- नीलगगन
निष्कर्ष
हिंदी व्याकरण में समास न केवल भाषा को संक्षिप्त और प्रभावशाली बनाता है, बल्कि यह साहित्यिक अभिव्यक्ति का एक आवश्यक साधन है। समास के विभिन्न प्रकार और उनके प्रयोग से विद्यार्थी और लेखक अपनी भाषा को अधिक परिष्कृत और प्रभावी बना सकते हैं।
👉 इसलिए, यदि आप हिंदी व्याकरण को गहराई से समझना चाहते हैं, तो समास (Samas in Hindi Grammar) का अध्ययन अवश्य करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs on Samas)
Q1: समास क्या है?
उत्तर: दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर बने नए, संक्षिप्त और अर्थपूर्ण शब्द को समास कहते हैं।
Q2: समास के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: हिंदी व्याकरण में 6 प्रमुख प्रकार के समास होते हैं – अव्ययीभाव, द्वंद्व, द्विगु, तत्पुरुष, बहुव्रीहि और कर्मधारय।
Q3: समास का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर: यह भाषा को संक्षिप्त, सरल और प्रभावशाली बनाता है।
Q4: बहुव्रीहि समास का एक उदाहरण बताइए।
उत्तर: नीलकंठ – यहाँ यह भगवान शिव के लिए प्रयोग होता है।
Samas in Detail
समास (Samas) – संपूर्ण गाइड: परिभाषा, भेद और 500+ उदाहरण
समास हिन्दी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है जो भाषा को संक्षिप्त और सुंदर बनाता है। इस comprehensive guide में हम समास की संपूर्ण जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
समास क्या है? (What is Samas?)
समास का अर्थ है संक्षिप्तीकरण। जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया और छोटा शब्द बनाते हैं, जिससे कम शब्दों में अधिक अर्थ व्यक्त हो सके, तो उसे समास कहते हैं।
समास की परिभाषा (Definition of Samas)
“दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतंत्र शब्द को समास कहते हैं, जिसमें मूल शब्दों के बीच के संबंध बोधक शब्दों (जैसे: का, के, की, से, में, पर आदि) का लोप हो जाता है।”
उदाहरण:
- राजा का पुत्र → राजपुत्र
- रसोई के लिए घर → रसोईघर
- देश के लिए भक्ति → देशभक्ति
समास के मुख्य तत्व
1. पूर्वपद: समास में पहले आने वाला शब्द
2. उत्तरपद: समास में दूसरे स्थान पर आने वाला शब्द
3. समस्त पद: दोनों पदों के मेल से बना नया शब्द
4. समास विग्रह: समस्त पद को अलग करके मूल अर्थ बताना
उदाहरण: गंगाजल में ‘गंगा’ पूर्वपद और ‘जल’ उत्तरपद है।
समास के भेद (Types of Samas)
हिन्दी व्याकरण में समास के छह मुख्य भेद हैं:
1. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
परिभाषा: जब समास का पहला पद अव्यय (जो कभी न बदले) होता है और उसी का अर्थ प्रधान होता है।
विशेषताएं:
- पूर्वपद अव्यय होता है
- पूर्वपद प्रधान होता है
- समस्त पद भी अव्यय बन जाता है
- नपुंसकलिंग में प्रयोग होता है
उदाहरण:
समस्त पद | विग्रह | अर्थ |
---|---|---|
प्रतिदिन | प्रत्येक दिन | हर दिन |
यथाक्रम | क्रम के अनुसार | क्रम के अनुसार |
आमरण | मृत्यु तक | मृत्यु पर्यंत |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार | जितनी शक्ति हो |
अनुरूप | रूप के अनुसार | के समान |
50+ अव्ययीभाव समास के उदाहरण:
प्रतिक्षण, प्रतिमास, प्रतिवर्ष, आजीवन, यथाशीघ्र, यथाकाल, निर्विघ्न, उपगंगा, अधपका, आसमुद्र, निडर, प्रतिपल, यथाविधि, यथायोग्य, प्रातःकाल, निर्भय, निरपराध, अकारण, निष्कपट, बेशक, लावारिस, आपादमस्तक, यथासमय, यथास्थान, प्रति व्यक्ति, उपकूल, प्रत्यक्ष, परोक्ष, यथोचित, प्रत्युत्तर, अनुकूल, प्रतिकूल, स्वाहा, निर्भरोसा, बेकार, लाचार, निराधार, यथेच्छा, प्रत्येक, उपवन, प्रत्यभिमुख, आजन्म, यथार्थ, प्रत्यावरण, निस्संकोच, यथानियम, प्रतिध्वनि
2. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
परिभाषा: जिस समास में उत्तरपद (दूसरा पद) प्रधान होता है और पूर्वपद उत्तरपद की विशेषता बताता है।
विशेषताएं:
- उत्तरपद प्रधान होता है
- कारक चिह्नों का लोप होता है
- सबसे अधिक प्रयुक्त समास है
तत्पुरुष समास के उपभेद:
A. कर्म तत्पुरुष (द्वितीया विभक्ति – ‘को’ का लोप)
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
माखनचोर | माखन को चुराने वाला |
गगनचुंबी | गगन को चूमने वाला |
कष्टसाध्य | कष्ट को सहने वाला |
स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग को प्राप्त |
B. करण तत्पुरुष (तृतीया विभक्ति – ‘से’, ‘के द्वारा’ का लोप)
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
तुलसीकृत | तुलसी द्वारा रचित |
शराहत | शर से आहत |
रसभरा | रस से भरा |
भुखमरा | भूख से मरा |
C. संप्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी विभक्ति – ‘के लिए’ का लोप)
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
गुरुदक्षिणा | गुरु के लिए दक्षिणा |
देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
रसोईघर | रसोई के लिए घर |
राजभवन | राजा के लिए भवन |
D. अपादान तत्पुरुष (पंचमी विभक्ति – ‘से’ का लोप)
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
पापमुक्त | पाप से मुक्त |
जन्मांध | जन्म से अंधा |
कर्मच्युत | कर्म से च्युत |
देशनिकाला | देश से निकाला |
E. संबंध तत्पुरुष (षष्ठी विभक्ति – ‘का, के, की’ का लोप)
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
गंगाजल | गंगा का जल |
राजमहल | राजा का महल |
गुरुपत्नी | गुरु की पत्नी |
प्रेमसागर | प्रेम का सागर |
F. अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी विभक्ति – ‘में’, ‘पर’ का लोप)
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
जलमग्न | जल में मग्न |
आपबीती | आप पर बीती |
कार्यकुशल | कार्य में कुशल |
ध्यानमग्न | ध्यान में मग्न |
विशेष तत्पुरुष समास:
नञ् तत्पुरुष (नकारात्मक तत्पुरुष):
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
अनादि | न आदि |
असभ्य | न सभ्य |
अनजान | न जाना |
अदृश्य | न दृश्य |
3. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
परिभाषा: जब दोनों पद समानाधिकरण होते हैं और उनमें विशेषण-विशेष्य या उपमेय-उपमान का संबंध होता है।
विशेषताएं:
- दोनों पद एक ही व्यक्ति/वस्तु के लिए प्रयुक्त होते हैं
- विशेषण-विशेष्य संबंध होता है
- उत्तरपद प्रधान होता है
कर्मधारय समास के भेद:
A. विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
नीलकमल | नीला कमल |
पीताम्बर | पीला अंबर |
महात्मा | महान आत्मा |
नीलगगन | नीला गगन |
B. विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
कमलनयन | कमल नयन |
अधरपल्लव | अधर पल्लव |
C. उपमान कर्मधारय समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
चंद्रमुख | चंद्र के समान मुख |
हिमधवल | हिम के समान धवल |
सिंहपुरुष | सिंह के समान पुरुष |
D. रूपक कर्मधारय समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
मुखचंद्र | मुख ही चंद्र है |
नेत्रकमल | नेत्र ही कमल है |
4. द्विगु समास (Dvigu Samas)
परिभाषा: जिस समास में पूर्वपद संख्यावाचक हो और वह किसी समूह या समाहार का बोध कराए।
विशेषताएं:
- पूर्वपद संख्यावाचक होता है
- समूह या समाहार का बोध होता है
- उत्तरपद प्रधान होता है
द्विगु समास के भेद:
A. समाहार द्विगु समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
त्रिलोक | तीन लोकों का समाहार |
नवग्रह | नौ ग्रहों का समूह |
पंचवटी | पांच वृक्षों का समूह |
सप्तसिंधु | सात सिंधुओं का समूह |
B. उत्तरपद प्रधान द्विगु समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
त्रिभुज | तीन भुजाओं वाला |
चतुष्कोण | चार कोणों वाला |
पंचमुख | पांच मुखों वाला |
100+ द्विगु समास के उदाहरण:
अष्टाध्यायी, नवरात्र, षडऋतु, त्रिकाल, चतुर्वेद, पंचतत्व, षड्दर्शन, सप्तर्षि, अष्टधातु, नवरस, दशदिशा, द्विगुण, त्रिगुण, चौमासा, छमाही, अठन्नी, इक्यावन, बावन, तिरपन, चौवन, पचपन, छप्पन, सत्तावन, अट्ठावन, उनसठ, साठ, इकसठ, बासठ, तिरसठ, चौंसठ, पैंसठ, छियासठ, सड़सठ, अड़सठ, उनहत्तर, सत्तर, दसगुणा, सौगुणा, हजारगुणा
5. द्वंद्व समास (Dvandva Samas)
परिभाषा: जिस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं और उनके बीच ‘और’ का संबंध छुपा होता है।
विशेषताएं:
- दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं
- ‘और’, ‘या’, ‘एवं’ आदि का लोप होता है
- दोनों पदों का स्वतंत्र अस्तित्व होता है
द्वंद्व समास के भेद:
A. इतरेतर द्वंद्व समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
राम-कृष्ण | राम और कृष्ण |
माता-पिता | माता और पिता |
सुख-दुःख | सुख और दुःख |
पाप-पुण्य | पाप और पुण्य |
B. समाहार द्वंद्व समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
दाल-रोटी | दाल और रोटी |
हाथ-पैर | हाथ और पैर |
खाना-पीना | खाना और पीना |
आना-जाना | आना और जाना |
C. वैकल्पिक द्वंद्व समास:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
भला-बुरा | भला या बुरा |
छोटा-बड़ा | छोटा या बड़ा |
अच्छा-बुरा | अच्छा या बुरा |
6. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
परिभाषा: जिस समास में दोनों पद अप्रधान होते हैं और समास का अर्थ किसी तीसरे पद की ओर संकेत करता है।
विशेषताएं:
- दोनों पद अप्रधान होते हैं
- तीसरा पद प्रधान होता है
- पूरा समास किसी का विशेषण होता है
- व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बताता है
बहुव्रीहि समास के भेद:
A. समानाधिकरण बहुव्रीहि:
समस्त पद | विग्रह | अर्थ |
---|---|---|
चक्रपाणि | चक्र है पाणि में जिसके | विष्णु |
गजानन | गज का आनन जिसका | गणेश |
त्रिनेत्र | तीन नेत्र जिसके | शिव |
दशानन | दस आनन जिसके | रावण |
B. व्यधिकरण बहुव्रीहि:
समस्त पद | विग्रह | अर्थ |
---|---|---|
नीलकंठ | नील कंठ जिसका | शिव |
लंबोदर | लंबा उदर जिसका | गणेश |
चतुर्भुज | चार भुजाएं जिसकी | विष्णु |
C. तुल्ययोग बहुव्रीहि:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
सपुत्र | पुत्र के साथ |
सपरिवार | परिवार के साथ |
सदेह | देह के साथ |
D. व्यतिहार बहुव्रीहि:
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
हाथापाई | हाथ और पैर की लड़ाई |
लाठालाठी | लाठी से लाठी की मार |
समास की पहचान की ट्रिक्स (Identification Tricks)
1. अव्ययीभाव समास की पहचान:
- पहला पद अव्यय होता है (प्रति, यथा, आ, अनु आदि)
- पूरा शब्द अव्यय बन जाता है
- प्रायः ‘के अनुसार’, ‘तक’, ‘पर्यंत’ आदि अर्थ में
2. तत्पुरुष समास की पहचान:
- दूसरा पद मुख्य होता है
- कारक चिह्नों का लोप होता है
- ‘का’, ‘को’, ‘से’, ‘के लिए’ आदि का अर्थ छुपा होता है
3. कर्मधारय समास की पहचान:
- दोनों पद एक ही वस्तु/व्यक्ति के लिए
- विशेषण + विशेष्य या उपमान + उपमेय
- ‘जो है वह’ या ‘के समान’ अर्थ में
4. द्विगु समास की पहचान:
- पहला पद संख्यावाचक
- समूह का बोध
- ‘का समाहार’ या ‘का समूह’ अर्थ में
5. द्वंद्व समास की पहचान:
- दोनों पद समान रूप से मुख्य
- ‘और’ या ‘या’ का अर्थ छुपा होता है
- दोनों का अलग अस्तित्व
6. बहुव्रीहि समास की पहचान:
- तीसरे व्यक्ति/वस्तु की विशेषता
- ‘जिसका’, ‘जिसके’, ‘जिसमें’ से शुरू होने वाला विग्रह
- पूरा समास विशेषण का काम करता है
समास और संधि में अंतर
विशेषता | संधि | समास |
---|---|---|
परिभाषा | वर्णों का मेल | पदों का मेल |
आधार | उच्चारण सुविधा | अर्थ की संक्षिप्तता |
इकाई | वर्ण/अक्षर | शब्द/पद |
नियम | ध्वनि नियम | व्याकरण नियम |
उदाहरण | गुण + ईश = गुणेश | गुण का ईश = गुणेश |
समास की उपयोगिता
- भाषा में संक्षिप्तता – कम शब्दों में अधिक अर्थ
- काव्य सौंदर्य – छंद और तुकबंदी में सहायक
- प्रभावशीलता – बात को प्रभावी बनाता है
- स्मरण में सुविधा – याद रखने में आसानी
- भाषा की समृद्धि – नए शब्दों का निर्माण
प्रैक्टिस के लिए 100+ समास के उदाहरण
अव्ययीभाव समास के उदाहरण:
प्रतिदिन, यथाशक्ति, आजन्म, भरपेट, हर रोज, प्रत्येक, यथाकाल, निर्भय, आमुख, प्रत्यक्ष, परोक्ष, आपादमस्तक, यथार्थ, प्रतिकूल, अनुकूल, निष्कपट, प्रतिध्वनि, यथोचित, प्रत्युत्तर, आसमुद्र
तत्पुरुष समास के उदाहरण:
राजकुमार, देवालय, ग्रामवासी, नगरपालिका, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, विदेशमंत्री, शिक्षामंत्री, स्वास्थ्यमंत्री, यातायात, डाकघर, स्टेशनमास्टर, पुलिसथाना, न्यायालय, अस्पताल, विद्यालय, पुस्तकालय, छात्रावास, धर्मशाला
कर्मधारय समास के उदाहरण:
कमलनयन, मृगनयनी, चंद्रमुख, सुनीलाम्बर, पीतवस्त्र, रक्तकमल, श्वेतवस्त्र, नीलाकाश, हरभरा, सुकन्या, महादेव, परमात्मा, सज्जन, दुर्जन, सुपुत्र, कुपुत्र, महान्, लघु, दीर्घ, ह्रस्व
द्विगु समास के उदाहरण:
त्रिकोण, चतुर्भुज, पंचकोण, षट्कोण, अष्टकोण, नवकोण, दशकोण, त्रिमूर्ति, पंचमुख, सप्तर्षि, नवरत्न, पंचतत्व, चातुर्वर्ण, त्रिगुण, पंचेंद्रिय, सप्तस्वर, अष्टांग, नवद्वार, दशदिशा
द्वंद्व समास के उदाहरण:
अन्न-जल, राम-कृष्ण, गीता-रामायण, सुख-दुःख, जय-पराजय, उदय-अस्त, दिन-रात, आदि-अंत, आग-पानी, सत्य-असत्य, प्रकाश-अंधकार, स्वर्ग-नर्क, देव-दानव, नर-नारी, बाल-वृद्ध, अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, काला-गोरा, मोटा-पतला, लंबा-चौड़ा
बहुव्रीहि समास के उदाहरण:
महावीर (महान वीर्य वाला), सुकंठ (सुंदर कंठ वाला), विशालाक्ष (विशाल आंखें वाला), सुनेत्र (सुंदर आंखें वाला), गुलाबी (गुलाब के समान रंग वाला), नीलाम्बर (नीले वस्त्र वाला), पीताम्बर (पीले वस्त्र वाला), रक्ताम्बर (लाल वस्त्र वाला)
समास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):
प्रश्न 1: ‘प्रतिदिन’ में कौन सा समास है?
(अ) अव्ययीभाव
(ब) तत्पुरुष
(स) कर्मधारय
(द) द्विगु
उत्तर: (अ) अव्ययीभाव
प्रश्न 2: ‘राजकुमार’ में कौन सा समास है?
(अ) अव्ययीभाव
(ब) तत्पुरुष
(स) द्वंद्व
(द) बहुव्रीहि
उत्तर: (ब) तत्पुरुष
प्रश्न 3: ‘नीलकमल’ में कौन सा समास है?
(अ) कर्मधारय
(ब) द्विगु
(स) द्वंद्व
(द) बहुव्रीहि
उत्तर: (अ) कर्मधारय
प्रश्न 4: ‘त्रिलोक’ में कौन सा समास है?
(अ) कर्मधारय
(ब) द्विगु
(स) द्वंद्व
(द) तत्पुरुष
उत्तर: (ब) द्विगु
प्रश्न 5: ‘माता-पिता’ में कौन सा समास है?
(अ) द्विगु
(ब) द्वंद्व
(स) तत्पुरुष
(द) बहुव्रीहि
उत्तर: (ब) द्वंद्व
प्रश्न 6: ‘चक्रपाणि’ में कौन सा समास है?
(अ) कर्मधारय
(ब) द्विगु
(स) द्वंद्व
(द) बहुव्रीहि
उत्तर: (द) बहुव्रीहि
समास के व्यावहारिक प्रयोग
दैनिक जीवन में समास:
- घर-परिवार: गृहिणी, घरेलू, पारिवारिक, घरवाली
- शिक्षा: विद्यालय, पुस्तकालय, परीक्षालय, प्रयोगशाला
- व्यवसाय: कारखाना, व्यापारी, दुकानदार, किसान
- यातायात: रेलगाड़ी, बसस्टैंड, हवाईअड्डा, राजमार्ग
साहित्य में समास:
- काव्य और छंद में लय बनाने के लिए
- भावों को संक्षिप्त रूप में व्यक्त करने के लिए
- कम शब्दों में अधिक अर्थ देने के लिए
- भाषा को सुंदर और प्रभावी बनाने के लिए
समास सीखने की युक्तियां (Tips)
- नियमित अभ्यास – प्रतिदिन 10-20 समास के उदाहरण देखें
- विग्रह का अभ्यास – समस्त पद को तोड़कर अर्थ समझें
- प्रकार की पहचान – हर समास का प्रकार पहचानने का अभ्यास करें
- वाक्य प्रयोग – समास को वाक्यों में प्रयोग करें
- समूह अध्ययन – मित्रों के साथ मिलकर अभ्यास करें
निष्कर्ष
समास हिन्दी व्याकरण का अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी अंग है। इसके सही प्रयोग से भाषा में संक्षिप्तता, स्पष्टता और सुंदरता आती है। नियमित अभ्यास और उदाहरणों के द्वारा समास की पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
मुख्य बातें:
- समास के छह मुख्य भेद हैं
- प्रत्येक समास की अपनी विशेषताएं हैं
- व्यावहारिक प्रयोग से समझ बढ़ती है
- नियमित अभ्यास आवश्यक है
- परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है
सुझाव: इस गाइड को बुकमार्क करें और नियमित रूप से revision करते रहें। समास का प्रयोग दैनिक बातचीत में भी करें ताकि यह आपकी भाषा का स्वाभाविक हिस्सा बन जाए।
यह comprehensive guide आपकी समास की सभी समस्याओं का समाधान करेगी और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन में सहायक होगी।